अकस्मादागतोत्पांत नाशयाशु नमोस्तुते। बल बुद्धि विद्या देहु मोहिं, हरहु कलेश विकार॥ राम मिलाय राज पद दीह्ना ॥१६॥ तुह्मरो मन्त्र बिभीषन माना । और देवता चित्त न धरई। हनुमत सेई सर्व सुख करई॥ मनोजवं मारुततुल्यवेगं, जितेन्द्रियं बुद्धिमतां वरिष्ठम्। राम दुआरे तुम रखवारे। होत न आज्ञा बिनु पैसारे॥ मनोजवम् मारुततुल्यवेगम् जितेन्द्रियम् बुद्धिमताम् https://free-kundli34332.blogminds.com/hanuman-mantra-no-further-a-mystery-32584819